फ़ोटो: गूगल से साभार।
नर हो तो तुम एक काम करो,
दौलत पर ना अभिमान करो,
तुम्हें दुनिया में लाया है जिसने,
उस नारी का तुम सम्मान करो।
पुरुषों का है वर्चस्व यहाँ,
ये बात तो अब इतिहास हो गई,
औरत सिर्फ चुल्हा चौका करती है,
ये मानों कल की बात हो गई।
बीती बातों को भूल के तुम,
कदम से कदम बढ़ाए जाओ,
जहाँ भी दिखे अत्याचार नारी पर,
अपनी आवाज़ उठाये जाओ।
संघर्ष तुम्हारा कैसा भी हो पर,
सहनशक्ति की मूरत है वो,
जब युद्ध लड़ोगे रथ पर होकर,
रथ के पहियों जैसी जरूरत है वो।
नर हो तो तुम एक काम करो,
कभी ना उनका अपमान करो,
सृष्टि की सर्वोत्तम रचना है जो,
उस नारी का तुम सम्मान करो।
©नीतिश तिवारी।
ये भी पढिए: नारी शक्ति को नमन।
6 Comments
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteअन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई हो।
आपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर रचना है
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (09-03-2020) को महके है मन में फुहार! (चर्चा अंक 3635) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--होलीकोत्सव कीहार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।