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आओ करें फिर प्रेम मिलन।


Romantic couple
Pic credit: Google.






पवित्र समय का
प्रेम मिलन
अपराधबोध कैसे हुआ।

जब दोनों की
सहमति थी फिर
ये अवरोध कैसे हुआ।

क्यों मन तेरा लगता नहीं
मेरा भी कुछ अच्छा नहीं
संदेह दृष्टि है लोगों की
हमने तो कुछ गलत किया नहीं।

जीवन मरण के चक्कर से
मुक्त होना है तुम्हें अगर
आओ करें फिर प्रेम मिलन
कब तक रहोगे दूर सजन।

©नीतिश तिवारी।

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12 Comments

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (10-06-2020) को  "वक़्त बदलेगा"  (चर्चा अंक-3728)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
     आप अन्य सामाजिक साइटों के अतिरिक्त दिल खोलकर दूसरों के ब्लॉगों पर भी अपनी टिप्पणी दीजिए। जिससे कि ब्लॉगों को जीवित रखा जा सके।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. भावपूर्ण सुन्दर सृजन ।

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  3. सुंदर अभिव्यक्ति

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    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. बहुत सुंदर सृजन।

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