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जब देखना मुझे तो किसी और को ना देखना,
जब चाहना मुझे तो सिर्फ मुझे ही चाहना,
इस उम्र में अक्सर हो जाया करती हैं नादानियाँ,
जब सीख लेना इश्क़ तो किसी और से मत करना।
Jab dekhna mujhe toh kisi aur ko na dekhna,
Jab chahna mujhe toh sirf mujhe hi chahna,
Iss umr mein aksar ho jaya karti hain nadani ham,
Jab seekh lena ishq toh kisi aur se mat karna.
आप सभी को हिन्दी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ।
©नीतिश तिवारी।
5 Comments
इश्क़ सीख के नहीं होता ... होना होता है तो खुद ही हो जाता है ...
ReplyDeleteसही कहा आपने। धन्यवाद।
Deleteवाह वाह
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteधन्यवाद
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।