अंधेरों का बोलबाला है, रौशनी का इंतज़ार मत कर,
तू टूटी हुई नाव में कभी दरिया पार मत कर,
जिसके हिज़्र में तुमने तमाम गज़लें लिख डालीं,
ऐसे शख्स से कभी वस्ल का इंतज़ार मत कर।
तू टूटी हुई नाव में कभी दरिया पार मत कर,
जिसके हिज़्र में तुमने तमाम गज़लें लिख डालीं,
ऐसे शख्स से कभी वस्ल का इंतज़ार मत कर।
Andheron ka bolbala hai, raushni ka intzaar mat kar,
Tu tooti huyi naaw mein kabhi dariya paar mat kar,
Jiske hizr mein tumne tamaam gazalen likh dali,
Aise shaksh se kabhi wasl ka intzaar mat kar.
©नीतिश तिवारी।
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