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अरमानों की अर्थी को ख्वाबों की चिता पर सुलाती है,
ज़िन्दगी कुछ नहीं कर पाती जब मौत बेवक़्त आती है।
टूटे नाव की सवारी करके दरिया पार करने से,
ज़िन्दगी दूर चली जाती है, मौत अपने पास बुलाती है।
हिज़्र की फिक्र तब नहीं थी जब वस्ल ने दामन थामा था,
अब जो कारवाँ उजड़ गया तो ज़िन्दगी कहाँ रह जाती है।
बाग से फूल निकले, ख़त में महकते हुए मज़ार तक पहुँच गए,
पर अब भी उसके यादों की खुशबू इस दिल को बहुत सताती है।
©नीतिश तिवारी।
15 Comments
बहुत खूब !
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत ही सुन्दर...
ReplyDeleteलाजवाब।
आपका शुक्रिया।
Deleteलाज़बाब सृजन
ReplyDeleteधन्यवाद उर्मिला जी।
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" गुरुवार 01 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है............ पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteवाह! क्या बात है !
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।