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मुफ़्त की सलाह बेवज़ह ही क्यों दी जाती है?







आपके भी लाइफ में मुफ़्त की सलाह देने वाले लोग आपसे टकरा ही जाते होंगे। 
जैसे मैं आपको बताता हूँ । 
बचपन में: 
आंटी जी- "बेटा जब देखो तब तुम लड्डू ही खाते रहते हो, बड़े होने पर डॉयबिटीज हो जाएगा।"
मैंने कहा, " आँटीजी सुनिए, हमारे पिताजी ला रहे हैं तो हम लड्डू खा रहे हैं।  अब आप चिंटू को लड्डू नहीं खिला रहीं और अभी से डायबिटीज के दवाई का खर्चा बचा रही हैं तो हम क्या करें।"

वही आँटीजी कुछ दिन बाद:
"बेटा घर में चीनी है? लाओ एक ग्लास दे दो जरा, चिंटू के पापा के लिए चाय बनानी है।"
हमने भी तपाक से जवाब दे दिया, "क्यों आँटीजी, उस दिन तो आप मुझे लड्डू खाने पर बहुत ज्ञान दे रहीं थी। अब कहाँ चला गया आपका डायबिटीज?"
"अरे बेटा चाय तो बनानी ही पड़ेगी नहीं तो चिंटू के पापा को डायबिटीज तो बाद में होगा, उससे पहले उनके चिल्लाने से हार्ट अटैक मुझे जरूर हो जाएगा।"

बचपन खत्म होने के बाद कॉलेज में :
दोस्त: "यार, तेरी कोई गर्लफ्रैंड भी नहीं है, मैं तो खूब  मस्ती करता हूँ। लड़कियों को घुमाना, पिक्चर दिखाना और..."
मैंने कहा, " अबे कौन से शास्त्र में लिखा है कि कॉलेज में गर्लफ्रैंड होनी जरूरी है और तू क्या हार्दिक पांड्या का छोटा भाई है जो इतनी सारी लड़कियाँ घुमाता है।"

कुछ साल बाद:
दोस्त- "तिवारी जी, अपनी शादी में नहीं बुलाये हमें?"
"अबे हम खुदे घर से बाहर रहते हैं, घरवालों ने हमें हमारी शादी में बुलाया था, हम तुम्हें कैसे बुलाते।
रिसेप्शन में तो बुलाये थे तुमको, तुम आये ही नहीं बहाना बना दिया कि कुछ शांतिदूतों ने ट्रेन की पटरी उखाड़ दी है। वो तो मैंने बाद में न्यूज़ देखा तो पता चला कि तुम सही कह रहे थे।"

कुछ साल बाद वही दोस्त:
"तिवारी जी, शादी के दो साल हो गए कहीं हनीमून पर नहीं गए?"
"काहे जाएँ बे, तुमने 5 लाख गूगल पे कर दिया है क्या? और बोल तो ऐसे रहे हो जैसे कि तुम अपने हनीमून पर स्विट्जरलैंड गए थे। गाँव के ट्यूबवेल के फोटो को एडिट करके स्वीमिंग पूल लिखने वाले ,तुम तो चुप ही रहो।"

बचपन से जवानी तक के कुछ मुफ़्त की सलाह देने वालों का जिक्र मैंने किया। अभी बुढापा आया नहीं है , जब बुढापा आएगा तो उसकी भी बात कहूँगा। बाकी एक बात कहना है कि " बचपन में एकांत से प्रेम था, जवानी में तन्हाई से मोहब्बत हो गयी, कहीं ऐसा ना हो कि बुढापा अज्ञातवास में गुजर जाए।"

धन्यवाद!!!

©नीतिश तिवारी।





 

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19 Comments

  1. बात तो सही है और मजेदार भी. अब बुढापा में बीमारी और उसके निदान पर सलाह दी जाती है.

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    1. जी बिल्कुल सही कहा आपने। पोस्ट पढ़ने के लिए धन्यवाद।

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  2. मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।

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  3. सादर नमस्कार ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (13-10-2020 ) को "उस देवी की पूजा करें हम"(चर्चा अंक-3860) पर भी होगी,आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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    1. मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. मजेदार । मुफ्त की सलाह अच्छा लगा ।

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  5. वाह बहुत सुंदर।

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  6. बचपन में एकांत से प्रेम था, जवानी में तन्हाई से मोहब्बत हो गयी, कहीं ऐसा ना हो कि बुढापा अज्ञातवास में गुजर जाए।"

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    1. जी। यही परम सत्य है।

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  7. सही सटीक अच्छा विषय है ,
    वैसे रोज मिलती रहती है ऐसी नेक सलाहें पर हम भी कौन से कम हैं दे ही देते हैं प्राय;:बिना मांगें।
    यथार्थ।

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  8. बचपन में एकांत से प्रेम था, जवानी में तन्हाई से मोहब्बत हो गयी, कहीं ऐसा ना हो कि बुढापा अज्ञातवास में गुजर जाए।"
    सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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