गाना- मेरे ख़्वाबों की दौलत।
मेरे ख़्वाबों की दौलत तुम, नींद पे पहरा फिर क्यों है,
रोज तुम्हें मैं याद हूँ करती, ज़ख्म ये गहरा फिर क्यों है।
मिलने जुलने की कोशिश में,
सदियों मैंने गुजार दिया। 2
बाकी रहा ना अब कुछ मुझमें,
दिल तो पहले ही हार दिया।
कैसे बताऊँ तुझसे मैं,
कितनी मोहब्बत करती हूँ। 2
तुमने भेजे थे ख़त जो,
मैं हर रोज वो पड़ती हूँ।
अबके सावन भी ना आए,
फिर ये बारिश किसके लिए है। 2
मेरे ख़्वाबों की दौलत तुम, नींद पे पहरा फिर क्यों है,
रोज तुम्हें मैं याद हूँ करती, ज़ख्म ये गहरा फिर क्यों है।
©नीतिश तिवारी।
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16 Comments
लाजवाब..!
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 18-12-2020) को "बेटियाँ -पवन-ऋचाएँ हैं" (चर्चा अंक- 3919) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
धन्यवाद.
…
"मीना भारद्वाज"
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसशक्त और सारगर्भित रचना।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर गीत सुंदर गेयता लिए।
ReplyDeleteबधाई।
आपका धन्यवाद।
Deleteवाह!!!!
ReplyDeleteलाजवाब गीत...।
धन्यवाद सुधा जी।
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन अनुज।
ReplyDeleteशुक्रिया दीदी।
Deleteमुग्ध करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteआपका आभार।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।