तुम चार दिन
के इश्क़ में ही
बेवफ़ा हो गए।
और एक हम जो
बरसों तक तुमसे
कभी खफ़ा ना हुए।
पहले इश्क़ का
आख़िरी अंज़ाम
शायद यही होना था।
Tum chaar din
Ke ishq mein hi
Bewafa ho gaye.
Aur ek hum jo
Barson tak tumse
Kabhi khafa na huye.
Pahle ishq ka
Akhiri anzaam
Shayad yahi hona tha.
भ्रम ये कि
तुम मेरे हो,
सत्य ये कि ये
सत्य नहीं है।
Bhram ye ki
Tum mere ho,
Satya ye ki ye
Satya nahi hai.
©नीतिश तिवारी।
7 Comments
वाह ।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteकभी दूसरों के ब्लॉग पर भी कमेंट किया करो।
राष्ट्रीय बालिका दिवस की बधाई हो।
धन्यवाद सर। आजकल थोड़ी व्यस्तता की वजह से नहीं आ पा रहा हूँ।
Deleteसुन्दर
Deleteआपका धन्यवाद।
Deleteरचना शामिल करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।