वो मोहब्बत के दावे,
वो बिछड़ने के बाद के शिकवे-गिले,
हमने भुलाये ही नहीं,
जब तुम पहली बार थे मिले।
भँवरे पास आये थे,
बगिया में फूल थे खिले,
रौशन हुआ था समाँ,
कई दीप थे जले,
फिर ना जाने क्या हुआ,
मुझे छोड़कर तुम,
कहीं और के लिए निकले।
©नीतिश तिवारी।
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7 Comments
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआह ! क्या ख़ूब कहा नीतिश जी आपने !
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteदर्द दर्द और दर्द बयां करती हैं ये पंक्तियाँ,
ReplyDeleteदिल के जज्बातों की भरती हैं ये रिक्तियाँ।
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