ध्वनि की तीव्रता
समुद्र सी गहराई
ऊष्मा का परिमाण
विद्युत जैसा आवेश
सब कुछ तो था तुझमें।
फिर क्यों तुमने मेरे
प्रेम के विज्ञान को
ठुकरा दिया
मेरे अस्तीत्व को ही
झुठला दिया।
दूर तुम हुई
विस्थापन हम झेल रहे हैं
हमारे मिलन का स्थान
अब इतिहास हो गया
तुम किसी और के भूगोल
में समाहित हो गई।
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
वाह, क्या ख़ूब लिखा है आपने।🌻
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।