Pic credit : Pixabay |
Woh Moti Tootkar Bikhar Gaya | वो मोती टूटकर बिखर गया।
कहानी लिख रहा था, किरदार मेरा डर गया,
सामने तूफ़ान था, वो पिछले रास्ते से घर गया,
तुम्हारे प्रेम को मोती समझकर समेटता रहा,
पर हर बार वो मोती टूटकर बिखर गया।
उम्र भर साथ देना था,
दो बरस में ही चले गए।
तेरे जाने के बाद ऐसा हुआ,
सपने मेरे टूटकर बिखर गए।
Kahani likh raha tha, kirdaar mera darr gaya,
Saamne toofan tha, wo pichhle raste se ghar gaya,
Tumhare prem ko moti samjhkar sametta raha,
Par har baar woh moti tootkar bikhar gaya.
Umar bhar saath dena tha,
Do baras mein hi chale gaye,
Tere jane ke baad aisa hua,
Sapne mere tootkar bikhar gaye.
©नीतिश तिवारी।
14 Comments
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा रविवार ( 16-05-2021) को
"हम बसे हैं पहाड़ों के परिवार में"(चर्चा अंक-4067) पर होगी। चर्चा में आप सादर आमंत्रित है.धन्यवाद
…
"मीना भारद्वाज"
मेरी रचना शामिल करने के लिए शुक्रिया।
Deleteवाह।
ReplyDeleteधन्यवाद शिवम जी।
Deleteअच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteउम्र भर साथ देना था,
ReplyDeleteदो बरस में ही चले गए।
तेरे जाने के बाद ऐसा हुआ,
सपने मेरे टूटकर बिखर गए।---ओह बहुत गहरी पंक्तियां।
बहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद।
Deleteचार पंक्तियों में अथाह दर्द।
ReplyDeleteअप्रतिम।
आभार।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।