तड़प ये मोहब्बत की, कभी दिल से नहीं जाती,
ये कैसा खेल है साकी, दिए को डसती है बाती।
वो इतने मतलबी निकले, कह दिया यूँ झटके से,
मुझे तुम बेवफ़ा कहना, मुझे वफ़ा नहीं आती।
Tadap ye mohabbat ki, kabhi dil se nahi jati,
Ye kaisa khel hai saqi, diye ko dasti hai baati,
Woh itne matlabi nikle, kah diya yu jhatke se,
Mujhe tum bewfa kahna, mujhe wafa nahin aati.
©नीतिश तिवारी।
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