दोस्तों आज बात करेंगे युवा लेखक उज्जवल मल्हवनी की पहली किताब शर्मा जी का लड़का के बारे में। हिंद युग्म प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब में कुल 11 कहानियां हैं। कुछ कहानियां तो बहुत शानदार बन पड़ी है। वहीं कुछ कहानियां आपको सोचने पर विवश कर देती हैं। लेखक ने बहुत ही सरल और सीधी-सादी भाषा का प्रयोग किया है जो आज के परिपेक्ष्य में उचित भी है।
हॉरर से लेकर क्राइम और हमारी आसपास की घटनाओं को केंद्र बिंदु में रखकर कुछ कहानियां गढ़ी गई हैं। इस किताब को पढ़ने के बाद महसूस होगा कि लगभग सभी कहानियां सत्य घटनाओं से प्रेरित होकर लिखी गई हैं। हाँ, कुछ काल्पनिक विचार और घटनाओं को भी सहज तरीके से दर्शाया गया है।
वैसे तो सभी कहानियां अच्छी हैं लेकिन मुझे जो बेहद पसंद आए उनमें 'शर्मा जी का लड़का', 'शतरंज के घोड़े', 'सिगरेट की ठूँठ' और 'कहानी कहानीकार की' है। इन कहानियों की सबसे अच्छी बात है कि जब आप इन्हें पढ़ते हैं तो उसी दुनिया में चले जाते हैं। हर लेखक की सबसे खास बात यही होती है कि वह पाठक को अपनी कहानी की दुनिया में ले जाने में सफल रहे। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि उज्जवल ने इस दिशा में बढ़िया काम किया है।
किताब के कमजोर पक्ष की बात करें तो हो सकता है कि आप किताब पढ़ते वक्त पाठक के तौर पर बीच में बोरियत महसूस करें लेकिन जब आप किताब खत्म करेंगे तो आपको एक संतुष्टि जरूर होगी। एक और चीज की मुझे कमी लगी वह है पंच लाइन वाले डायलॉग की। हालांकि यह समय के साथ सुधार करने वाली चीज है और मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाली किताबों उज्जवल इसमें जरूर कामयाब होंगे। पहले किताब के हिसाब से बढ़िया किताब है।
इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
लेखक को शुभकामनाएं।
©नीतिश तिवारी।
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