Laghukatha- Bakery Shop | लघुकथा- बेकरी शॉप।
सोहन और शोएब बचपन के दोस्त थे। एक ही गली में आमने-सामने दोनों के पुश्तैनी मकान थे तो दोस्ती होना लाजमी था। दोनों के घरवालों में भी खूब बनती थी इसलिए जब सोहन और शोएब बड़े हुए तो अपने घर वालों की मदद से पास के ही मार्केट में एक बेकरी शॉप खोल दिया।
समय के साथ ही उनकी दुकान खूब चलने लगी। दुकान में केक, पेस्ट्री के साथ ही मिठाइयों की भी खूब वैरायटी थी। व्रत-त्यौहार में भी उनकी दुकान खूब चलती थी और कभी बंद नहीं होती थी। होली दिवाली के दिन सोहन छुट्टी पर रहता था तो शोएब दुकान संभालता था। ईद के दिन शोएब छुट्टी पर रहता था तो सोहन दुकान पर रहता था। इस तरह से व्यापार अच्छा चल रहा था और ग्राहकों का भरोसा भी बढ़ रहा था।
फिर अचानक शहर में दंगे हो गए। हिंदू-मुसलमान एक दूसरे को काटने पर आमादा थे। दंगे बाजार में जरूर हुए थे लेकिन इन दोनों की गली मोहल्लों तक उसका प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ा था। हाँ, हालात को लेकर थोड़े तनाव की स्थिति जरूर थी लेकिन शांति थी।
दंगों के कुछ दिन बाद सोहन और शोएब ने फिर से दुकान शुरू करने की सोची। यह सोचते सोचते आज 6 महीने हो गए हैं। ग्राहक उधर से गुजरते हैं। दुकान अभी भी बंद पड़ी है।
©नीतिश तिवारी।
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9 Comments
ओह! मर्मस्पर्शी
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी
ReplyDeleteजाने कब तक इंसानों को इंसान समझेंगे लोग
Dhanywad
Deleteगहन लेखन।
ReplyDeleteShukriya
Deleteबहुत सुंदर और स्नेहिल तरीक़े से क़लम को अंजाम दिया है प्यार कभी कभी धार्मिक भावनाओं को भी संभाल लेता सहै आदरणीय शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
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