Ab ishq ka tyag karu | अब इश्क़ का त्याग करूँ।
नींद छोड़ दूँ या चैन का त्याग करूँ,
जान तुम बताओ तो कैसे तुम्हें याद करूँ।
इश्क़ परत दर परत बढ़ता ही जा रहा है,
इसे बढ़ जाने दूँ या अब इसका त्याग करूँ।
मिलने को बुलाया था और तुम आयी नहीं,
क्या चाहती हो सिर्फ फोन पर बात करूँ।
Neend chhod du ya chain ka tyag karu,
Jaan tum batao toh kaise tumhe yaad karu.
Ishq parat dar parat badhta hi jaa raha hai,
Ise badh jane du ya ab iska tyag karu.
Milne ko bulaya tha aur tum aayi nahi,
Kya chahti ho sirf phone par baat karu.
©नीतिश तिवारी।
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