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चार दिन की चाँदनी और फिर अँधेरी रात है।

 






चार दिन की चाँदनी और फिर अंधेरी रात है

कह भी दो न जो तुम्हें कहनी वो बात है

दिल में छुपाकर क्या ही रखना

किसके लिए और वो कौन है

मैं ही हूँ सब कुछ तुम्हारा

बाकी सब तो मौन हैं।


©नीतिश तिवारी।

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