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मेरी आदत से परेशान हो गया है वो,
दसवीं का इम्तिहान हो गया है वो,
उसके दिल में उतरूँ भी तो कैसे,
अपने ही रूह का दरबान हो गया है वो।
Meri aadat se pareshan ho gaya hai woh,
Dasvi ka imtihaan ho gaya hai woh,
Uske dil mein utru bhi toh kaise,
Apne hi rooh ka darbaan ho gaya hai woh.
दिल की ख्वाहिशों को सम्भाल रखा है,
मैंने अपना हाल बेहाल बना रखा है,
तेरा नाम गुलाब के साथ जिस पर लिखवाया था,
मेरे कमरे में अब भी वो रुमाल रखा है।
Dil ki khwahishon ko sambhaal rakha hai,
Maine apna haal behaal bana rakha hai,
Tera naam gulaab ke sath jis par likhwaya tha,
Mere kamre mein ab bhi woh rumaal rakha hai.
©नीतिश तिवारी।
9 Comments
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
ReplyDeleteवाह।
ReplyDeleteआपका शुक्रिया।
Deleteबढ़िया लेखन
ReplyDeleteBahut bahut dhnywaad
Deleteउम्दा ।
ReplyDeleteShukriya
Deleteवाह!वाह!गज़ब लिखा हृदय में उतर गया।
ReplyDeleteसादर
बहुत धन्यवाद अनीता दी।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।