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Mujhe hi galat kahna tha | मुझे ही गलत कहना था।

 

Hindi kavita
Pic credit: pixabay









शब्द झूठे हो सकते हैं

मेरी स्वीकृति तो सत्य है

तुम कल मेरी थी

यही आज का तथ्य है


प्रेम हमारा परिपूर्ण था

अथाह सागर के जैसा

फिर छल ने कुछ गोते लगाए,

बिखर गया प्रवाह के जैसा


उस समय की गतिविधि को 

दुर्व्यवहार का नाम मत दो

जो इच्छाएँ नहीं रुकी उन्हें

अत्याचार का नाम मत दो


प्रेम की नियति ऐसी थी

तुमको हमसे अलग होना था

सारा दोष मुझ पर मढ़कर

मुझे ही गलत कहना था


©नीतिश तिवारी।

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2 Comments

  1. हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति ।

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