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आदतें अजीब हैं तुम्हारी जो रह रहकर तुम बेवफा हो जाते हो,
मैं कितना भी अच्छा बोलूँ तुम बेवजह खफ़ा हो जाते हो,
कितनी कोशिश की थी इस बार भी तुम्हें संभालने की,
तुम हर बार बिछड़कर मुझसे बहुत दूर चले जाते हो।
Aadten ajeeb hain tumhari jo rah rahkar tum bewafa ho jate ho,
Main kitna bhi achha bolu tum bewajah khafa ho jate ho,
Kitni koshish ki thi iss baar bhi tumhen sambhalne ki,
Tum har baat bichhadkar mujhse bahut door chale jate ho.
©नीतिश तिवारी।
4 Comments
आसान नहीं होती प्रेम डगर, रूठने-मनाने के एक हद होती है,हद से बढ़ गए तो फिर जिंदगी दुश्वार हो जाती है
ReplyDeleteबहुत खूब
धन्यवाद
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteशुक्रिया।
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।