Latest

6/recent/ticker-posts

ज़िन्दगी ही मझधार में है।




ना ग़म से परेशान हूँ,
ना ही मोहब्बत की दरकार है,
कोई मेरे साथ रहता भी तो कैसे,
मेरी तो ज़िन्दगी ही मझधार है।

Na gham se pareshan hoon,
Na hi mohabbat ki darkar hai,
Koi mere saath rahta bhi toh kaise,
Meri toh zindgi hi majhdhar hai.

©नीतिश तिवारी।


 

Post a Comment

2 Comments

पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।