तपते सहराओं को अब्र की दरकार है,
मेरी तन्हाई को तेरी बिनाई का इंतज़ार है,
तेरा ज़िक्र हो ही जाता है किसी वीराने में,
लगता है कि मुझे अब भी तुमसे प्यार है।
Tapte sahraon ko abr ki darkaar hai,
Meri tanhai ko teri binai ka intzaar hai,
Tera zikar ho hi jata hai kisi weerane mein,
Lagta hai ki mujhe ab bhi tumse pyaar hai.
तन्हाई तो एक छोटी सी सज़ा है,
बता ऐ दर्द, तेरी क्या रज़ा है,
ज़ख्मों को सिरहाने लेकर सोता हूँ,
ये इश्क़ में बर्बाद होने का मज़ा है।
Tanhai toh ek chhoti si sazaa hai,
Bata ae dard, teri kya razaa hai,
Zakhmon ko sirhane lekar sota hoon,
Ye ishq mein barbaad hone ka mazaa hai.
कहीं तो कुछ तो तलाश है,
ऐ ज़िन्दगी तुझसे बड़ी आस है।
Kahin toh kuch toh talaash hai,
Ae zindgi tujhse badi aas hai.
©नीतिश तिवारी।
8 Comments
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ ०२-२०२३) को 'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक -४६४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका धन्यवाद!
Deleteअति सुन्दर
ReplyDeleteआपका धन्यवाद!
Deleteप्यार की यह भी, सही पहचान है. दर्द तेरी रज़ा क्या है.. भी बहुत बढ़िया
ReplyDeleteआपका धन्यवाद!
Deleteबहुत सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद!
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।