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कलियों का दुख कौन सुनेगा?

कलियों का दुख कौन सुनेगा?
Pic credit: unspalsh

 


आज तेरे आने की खुशी हुई,

कल तेरे जाने का दुःख होगा।

पतझड़ में सारे पत्ते सुख गए,

वीराने में उदासी का एक बूत होगा।


फिर कैसे जीवन संसार चलेगा,

बागों में फूल कैसे खिलेगा।

भँवरे तो सारे चले गए,

कलियों का दुख कौन सुनेगा।


Aaj tere aane ki khushi huyi,

Kal tere jane ka dukh hoga.

Patjhar mein sare patte sookh gaye,

Weerane mein udasi ka ek boot hoga.


Phir kaise jeevan sansaar chalega,

Bagon mein phool kaise khilega.

Bhanwre toh sare chale gaye,

Kaliyon ka dukh kaun sunega.


©नीतिश तिवारी।

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4 Comments

  1. उम्दा रचना

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  2. सुंदर सृजन! हृदय को छू रहें हैं भाव।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद!

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