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Two line shayari
जब से आवारगी हमने छोड़ी,
फिर किसी के नहीं हुए हम।
Jab se awargi humne chhodi,
Phir kisi ke nahi huye hum.
तुम कितने दिल पर रोज वार करती हो,
आशिक़ी में जंग का मैदान तैयार करती हो।
Tum kitne dil par roj waar karti ho,
Aashiqi mein jung ka maidaan taiyar karti ho.
फिर आसमाँ झुकेगा तेरी इबादत को,
एक अमावस तो चाँद के घर भी होना चाहिए।
Phir aasman jhukega teri ibadat ko,
Ek amawas toh chand ke ghar bhi hona chahiye.
हाल मेरा अच्छा है अब तुम आ जाओ,
मुफ़लिसी हमने अकेले झेल लिया है।
Haal mera achha hai ab tum aa jao,
Muflisi humne akele jhel liye hai.
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद!
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।