तेरी बेवफ़ाई वाले इरादे का क़त्ल करूँगा।
तेरी वीरान ज़िन्दगी में मैं दख़्ल दूँगा,
हिज़्र की रात बहुत लम्बी हो चली है,
अगली सुबह से मैं सिर्फ़ वस्ल करूँगा।
Teri bewafai wale irade ja qatl karunga,
Teri veeran zindgai mein main dakhal doonga,
Hizr ki raat bahut lambi ho chali hai,
Agali subah se main sirf wasl karunga.
मेरे दौर की कहानी को कौन लिखेगा,
मेरी तन्हाई वाली जवानी को कौन लिखेगा,
तेरे पहलू में आके मर तो जाऊँ लेकिन,
फिसलती रेत से बहते पानी को कौन लिखेगा।
Mere daur ki kahani ko kaun likhega,
Meri tanhai wali jawani ko kaun likhega,
Tere pahloo mein aake mar toh jaun lekin,
Phisalti ret se bahte pani ko kaun likhega.
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteआपका धन्यवाद!
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