लेखन से प्रेम और हासिल कुछ भी नहीं! क्या यही मेरा भाग्य है?
2023 का चौथा महीना भी खत्म हो गया। सच ही कहा गया है कि समय किसी के लिए नहीं रुकता।
लेकिन इस ब्लॉग का ट्रैफिक जरूर रुक गया है। एक कारण तो ये है कि मैं ब्लॉग पर उतना काम नहीं कर पा रहा हूँ जितना करना चाहिए। पर ये सिर्फ़ एकमात्र वजह नहीं है। पहले बिना काम किये भी अच्छा खासा ट्रैफिक आता था, अब तो बिल्कुल ही बंद है। शायद कुछ तकनीकी खराबी हो। मैं ज्यादा इसमें नहीं पड़ता, देखते हैं क्या हो सकता है।
दस साल पुराने इस ब्लॉग पर अगर आप मेरे पुराने पाठक हैं तो आप जानते हैं कि मैंने ज्यादातर काम पद्य में ही किया है। शायरी, ग़ज़ल और कविता ही ज्यादा लिखा है। कुछ लघुकथाएँ और व्यंग भी लिखी हैं लेकिन एक लेखक बनने के लिए इतना काफी नहीं है।
लगातार कुछ न कुछ पढ़ता रहता हूँ। कोशिश जारी है कुछ अच्छा लिख पाऊँ। एक कहानी संग्रह भी दिमाग में है। लेकिन उसे किताब का रूप देने में थोड़ा समय और लगेगा।
पद्य से गद्य में अच्छा लिखने में अगर कोई अनुभवी जन मेरी मदद करे तो मुझे खुशी होगी। बाकी शायरी और कविताओं का दौर तो चलता ही रहेगा।
आप सभी का मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए धन्यवाद!
मेरे YouTube चैनल को subscribe करके सहयोग जरूर करें।
आभार।
©नीतिश तिवारी।
3 Comments
आपका मानसिक संतोष ही आपका हासिल होना चाहिए। मैं स्वयं केवल अपने मानसिक संतोष के निमित्त लिखता हूँ (तथा अपने मानसिक संतोष के निमित्त ही वीडियो भी बनाता हूँ)। गद्य में लिखना तो अपेक्षाकृत सरल ही है। हाँ, कविता और शायरी तभी लिखनी चाहिए (या लिखने का प्रयास करना चाहिए) जब उसकी पर्याप्त समझ हो। तुकबंदी से न कविता होती है, न शायरी। याद रखिए - शायरी तो दिल के अहसासात का इज़हार है, दिल अगर बेज़ार है तो शायरी बेकार है।
ReplyDeleteआपके सलाह के लिए शुक्रिया।
Deleteसमय और जज़्बात सहेजने चाहिए,इज्जत औऱ लज्ज़त मेहरबां रहती हैं।
ReplyDeleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।