शर्त ये कि तुम बेवफा हो जाना,
ख़्वाहिश ये कि मैं बदनाम शायर कहलाऊँ।
बरसों तक तुम लौट कर ना आना,
तेरी गुमशुदगी का मुक़दमा दर्ज करवाऊँ।
आरजू मेरी कि तन्हाई मेरा साथी बने,
जिद्द तुम्हारी कि तुम सिर्फ़ मेरी कहलाओ।
मैं मिन्नते करूँ धड़कनों के रुकने की,
तड़प तुम्हारी कि तुम साँसों में समा जाओ।
Shart ye ki tum bewafa ho jana,
Khwahish ye ki main badnaam shayar kahlaun.
Barson tak tum laut kar na aana,
Teri gumshudagi ka muqadama darz karwaun.
Aarzoo meri ki tanhai mera sathi bane,
Zidd tumhari ki tum sirf meri kahlao.
Main minnate karun dhadkanon ke rukne ki,
Tadap tumhari ki tum sanson mein sama jao.
©नीतिश तिवारी।
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