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मेरे इश्क़ में इतनी तबाही हुई,
लिखने बैठा तो कलम की स्याही गई,
मुक़दमा जीतने का मलाल रह गया,
उस बेवफ़ा की कभी ना गवाही हुई।
Mere ishq mein itni tabahi huyi,
Likhne baitha toh kalam ki syahi gayi,
Muqadama jeetane ka malaal rah gaya,
Us bewafa ki kabhi na gawahi hyui.
किसी को जरा भी फिक्र नहीं हमारी,
ये दुनिया अभी तक हुई नहीं हमारी।
Kisi ko jara bhi fikar nahi humari,
Ye duniya abhi ta huyi nahi humari.
©नीतिश तिवारी।
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