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वो अपने इश्क़ को एहसान कह रहा है,
वो मेरे रक़ीब को अपनी जान कह रहा है,
उसकी सादगी ही मेरी कमजोरी बन गयी,
देखो अपने हुस्न पर कितना गुमान कर रहा है।
Woh apne ishq ko ehsaan kah raha hai,
Wo mere raqeeb ko apni jaan ka raha hai,
Uski sadagi hi meri kamjori ban gayi,
Dekho apne husn par kitna guman kar raha hai.
सुबह-सुबह मैं रात की बात करता हूँ,
कल का क्या है, मैं आज की बात करता हूँ,
तुम कहाँ हो, कुछ खबर तो दो,
मैं सिर्फ़ तुझसे मुलाक़ात की बात करता हूँ।
Subah-subah main raat ki baat karta hoon,
Kal ka kya hai, main aaj ki baat karta hoon,
Tum kahan ho, kuch khabar toh do,
Main sirf tujhse mulaqat ki baat karta hoon.
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
सुन्दर शेर कहे गए हैं
ReplyDeleteआपका धन्यवाद!
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।