मेरी आँखों से निकलकर मेरे अश्क़,
तेरे दिल की दहलीज़ तक पहुँचते हैं।
हिज़्र की रातें तो मैं काट लेता मगर,
मेरे दोस्त जश्न-ए-इश्क़ की बात करते हैं।
आशिक़ी ऐसी की यादाश्त चली गयी,
मेरे लिखे ख़त तेरा पता पूछते हैं।
Meri ankhon se nikalkar mere ashq,
Tere dil ki dahleez tak pahunchte hain.
Hizr ki raten toh main kaat leta magar,
Mere dost jashn-e-ishq ki baat karte hain.
Ashiqi aisi ki yadasht chali gaya,
Mere likhe khat tera pata poochhte hain.
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
सुन्दर | शुभकामनाएं दीप पर्व पर |
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद!
Deleteपोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।