वो एक दौर का सिलसिला था,
जहाँ मुझे सब कुछ तो मिला था,
तमाम कोशिशों के बाद भी तू मेरा हो ना पाया,
बस एक इसी बात का मुझे गिला था।
Woh ek daur ka silsila tha,
Jahan mujhe sab kuch toh mila tha,
Tamaam koshishon ke baad bhi tu mera ho na paya,
Bas ek isi baat ka mujhe gila tha.
©नीतिश तिवारी।
2 Comments
वाि नीतिश जी, तमाम कोशिशों के बाद भी तू मेरा हो ना पाया...शानदार रचना
ReplyDeleteआपका धन्यवाद!
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