मन व्याकुल है,
मन चंचल है,
दिल की सुनता नहीं
यह कैसा छल है?
जीवन के इस कठिन
डगर में
मन को कहाँ चैन
मिल पता है
रातों को वो
जगता है
दिन भर भटकता
रहता है।
दिल कहता है
मेरी सुनो
मन को ये
बर्दाश्त नहीं
कठिन परीक्षा है
या है कोई द्वन्द ये
जहाँ दोनों से
कुछ आस नहीं।
©नीतिश तिवारी।
0 Comments
पोस्ट कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताएँ और शेयर करें।