तेरा हिज्र मुझे ज़हर से कम नहीं लगता,
तेरे वस्ल का असर भी मरहम नहीं लगता,
तेरे इश्क़ की खुशबू रूह तक समाई हुई है,
तुझसे अच्छा कोई मुझे सनम नहीं लगता।
Tera hizr mujhe zehar se kam nahi lagta,
Tere wasl ka asar bhi marham nahi lagta,
Tere ishq ki khushboo rooh tak samayi hui hai,
Tujhse achha koi mujhe sanam nahi lagta.
तुम्हें पाने के लिए हमने कितना इंतज़ार किया,
आज तुम साथ हो और तुम्हें जरा भी सब्र नहीं।
Tumhe pane ke liye humne kitna intzaar kiya,
Aaj tum saath ho aur tumhe jara bhi sabr nahi.
©नीतिश तिवारी।
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